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नोटबंदी के बाद भी दिसंबर तिमाही में 7 प्रतिशत रही विकास दर

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के विकास के आंकड़ों ने साबित कर दिया है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं हुआ। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से मंगलवार को जारी तीसरी तिमाही के आर्थिक विकास दर के आंकड़ों से विपक्षी दलों के मुंह पर ताले लग जाएंगे।

इससे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और रिजर्व बैंक जैसी संस्थाओं के अनुमान भी गलत साबित हुए हैं। इन सभी ने आठ नवंबर से जारी नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ने की बात कही थी।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में विकास दर सात फीसद रहने का अनुमान है।

सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के ये आंकड़े सरकार के लिए राजनीतिक तौर पर भी मददगार साबित होंगे, क्योंकि सभी विपक्षी दल एक सुर में नोटबंदी को भारी गलती बता रहे हैं।

इन आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 7.1 फीसद रहने के आसार और मजबूत हुए हैं। सीएसओ ने पहली तिमाही (अप्रैल- जुलाई) के दौरान विकास दर के पूर्व अनुमान को बढ़ाकर 7.2 फीसद और अगस्त से सितंबर के लिए 7.4 फीसद कर दिया है।

नोटबंदी के किसी नकारात्मक असर को आंकड़ों से खारिज करने के बाद भी मुख्य सांख्यिकी अधिकारी टीसीए अनंत का कहना है कि इस बारे में अभी साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। चालू तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह बात ज्यादा साफ होगी।

अप्रैल से मिलेगा फायदा : शक्तिकांत

आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों ने साफ कर दिया है कि नोटबंदी के नकारात्मक असर को लेकर सिर्फ अनुमान लगाए जा रहे थे। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को अप्रैल, 2017 से फायदा मिलना शुरू हो जाएगा।

दो फीसद रफ्तार घटने के थे कयास

नोटबंदी लागू होने के बाद पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि इससे देश की आर्थिक विकास दर में दो फीसद की गिरावट आएगी। विश्व बैंक, आईएमएफ, मूडीज, स्टैंडर्ड एंड पुअर्स समेत कई देशी-विदेशी एजेंसियों ने अर्थव्यवस्था के अल्प अवधि के लिए मंदी में जाने के कयास लगाए थे। आंकड़ों से साफ है कि वर्ष की शुरुआत में सरकार के 7.75 फीसद की ग्रोथ के अनुमान में मामूली कमी ही आ रही है।

कई क्षेत्रों का शानदार प्रदर्शन

स्थिर मूल्यों (2011-12) के आधार पर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कृषि, वानिकी व फिशरीज क्षेत्र की वृद्धि दर में उछाल आया है। यह बढ़कर छह फीसद होने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसमें 2.2 फीसद की गिरावट आई थी। समीक्षाधीन अवधि में खनन क्षेत्र की ग्रोथ घटकर 7.5 फीसद रही है।

पिछली दोनों तिमाहियों के दौरान इसमें क्रमशः 0.3 और 1.3 फीसद की कमी आई थी। नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर मैन्यूफैक्चरिंग पर असर पड़ने की बात कही जा रही थी। लेकिन इसमें 8.3 फीसद की अच्छी-खासी वृद्धि दर्ज हुई। वित्तीय व रियल एस्टेट सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 3.1 फीसद रही है। अन्य सेवा क्षेत्रों की स्थिति ठीक-ठाक है

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