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वित्त वर्ष एक जनवरी से शुरू करने पर विचार

वित्त वर्ष को अप्रैल से मार्च की बजाय जनवरी से दिसंबर करने की सिफारिश करने वाली एक समिति की रिपोर्ट पर सरकार विचार कर रही है लेकिन केंद्र ने साथ ही स्पष्ट किया है कि अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में कहा, ”यह बात सही है कि रिपोर्ट मिल गयी है। जब ऐसी कोई रिपोर्ट मिलती है तो इसकी सिफारिशों के न केवल केंद्र और राज्यों बल्कि स्थानीय निकायों तक के कामकाज पर भी इसका असर होता है। इसलिए इस पर व्यापक नजरिए और दूरदृष्टि के साथ सोचना पड़ता है।’

उन्होंने कांग्रेस सदस्य कमलनाथ के अनुपूरक सवाल के जवाब में बताया कि फिलहाल समिति की सिफारिशों पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि अभी सरकार केवल इस रिपोर्ट पर विचार कर रही है। जेटली ने कहा कि विचार के बाद ही सरकार कोई फैसला लेगी और फैसले के बाद सभी को इससे अवगत कराया जाएगा।

इससे पूर्व भाजपा के अभिषेक सिंह के पूरक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने बताया कि पूरे विश्व में हर देश की अपनी स्थिति के अनुसार वित्त वर्ष का निर्धारण किया जाता है। अंग्रेजों की पुरानी व्यवस्था में एक अप्रैल से वित्त वर्ष शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि हमेशा एक तर्क दिया जाता है कि भारत के कृषि मौसम के अनुरूप एक जनवरी से वित्त वर्ष शुरू किया जाए। इस विषय में पहले भी कई अध्ययन किए गए हैं और सरकार ने एक समिति गठित की थी जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है और सरकार उसका अध्ययन कर रही है। उसके बाद ही सरकार कोई निर्णय लेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस समस्या के एक हिस्से का समाधान सरकार केंद्रीय बजट को एक फरवरी को पेश करके कर चुकी है जिसे पहले 28 फरवरी या मार्च में पेश किया जाता था। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि इसके लिए संविधान में कोई संशोधन करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह प्रशासनिक और नीतिगत मामला होता है। यदि सरकार इस संबंध में कोई फैसला करती है तो संविधान में बदलाव की जरूरत नहीं होगी।

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