
भोपाल। प्रदेश की 2500 अवैध कॉलोनियों को विकास के लिए फिर इंतजार करना पड़ सकता है। राज्य शासन के ही एक अपर मुख्य सचिव की आपत्ति के बाद इस मामले में पेंच फंस गया है और प्रदेश सरकार इन कॉलोनियों के नियमितीकरण के मामले में बैकफुट पर आ गई है।
यदि यह पेंच नहीं सुलझता है तो अब सरकार सिर्फ उन शहरों में ही कॉलोनियों को वैध कर पाएगी, जहां मास्टर प्लान लागू है। यही नहीं इसमें भी यह शर्त होगी कि जिस जमीन पर अवैध कॉलोनी बनी है, वह आवासीय लैंडयूज की हो। यानी भोपाल में नीलबड़, रातीबढ़, विदिशा रोड, अयोध्या बायपास रोड समेत कई जगहों पर खेती की जमीन पर बनी 200 से ज्यादा कॉलोनियां का नियमतिकरण खतरे में पड़ गया है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने हाल ही में अवैध कॉलोनियों के नियमतिकरण के लिए नियमों में संशोधन का खाका तैयार कर विधि विभाग को जांच के लिए भेजा है। इसी बीच आनंद विभाग के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने मुख्य सचिव बीपी सिंह को 10 अप्रैल को एक नोटशीट लिखकर अवैध कॉलोनियों के नियमतिकरण की खामी उजागर की है।
मुख्यसचिव ने यह नोटशीट विभाग के प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव को भेज दिया है। बैंस की आपत्ति के बाद विभाग में हड़कंप है। अफसर इसका रास्ता खोजने में जुटे हंै। इसलिए अभी अवैध कॉलोनी को वैध करने वाले नियम को भी जारी नहीं किया गया है। संचालनालय के कमिश्नर विवेक अग्रवाल का कहना है कि एसीएस की नोटशीट पर अभी अध्ययन चल रहा है। जल्द ही सरकार को जवाब भेज दिया जाएगा।
बड़ी खामी… कैसे होगा नामांतरण
एसीएस बैंस ने नोटशीट में लिखा है कि भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 109 व 110 में डायवर्सन से पहले यदि कोई कॉलोनी का निर्माण होता है तो नामांतरण शून्य माना जाता है। यानी कि किसी को मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता है। चूंकि किसी भी अवैध कॉलोनी में डायवर्सन नहीं हुआ है, इसलिए सरकार यदि उन्हें नियमित भी कर देगी तो लोगों को मालिकाना हक कैसे मिलेगा? फिर उन्हें बैंक लोन से लेकर अन्य सुविधाएं कैसे मिलेंगी। इससे भविष्य में कई विसंगतियां होंगी, जो कि कई कानूनी पचड़ों और विवादों को जन्म देगी।
यहां आएगी दिक्कत
टीएंडसीपी ने प्रदेश के 379 शहरों में 98 शहरों में ही मास्टर प्लान बनाए हैं। यानी बाकी शहरों में अवैध कॉलोनियों का नियमतिकरण का प्रस्ताव खारिज हो सकता है। 98 शहरों में भी मास्टर प्लान में 30 से 40 प्रतिशत जमीन का लैंडयूज खेती है। इसमें से कुछ जमीन पर करीब 550 कॉलोनियां बन गई है। अब इनका भी नियमतिकरण नहीं हो पाएगा।
सिर्फ यह दो रास्ते
भू राजस्व संहिता के तहत यदि मास्टर प्लान में किसी जमीन का लैंडयूज आवासीय है तो वहां डायवर्सन की वैधानिकता की जरूरत नहीं है। लिहाजा सरकार के पास पहले विकल्प के रूप में मास्टर प्लान में संशोधन कर खेती की जमीन पर बनी कॉलोनियों का लैंडयूज आवासीय करने रास्ता है। दूसरे विकल्प में भू राजस्व संहिता में बदलाव करना है।