
वाशिंगटन (एजेंसी)। दुनिया के नक्शे से दुर्दांत आतंकी संगठन आईएस (इस्लामिक स्टेट) के खात्मे के लिए अमेरिका ने गुरवार शाम 7.32 बजे अफगानिस्तान में इसके अड्डों पर सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया। दुनिया में पहली बार 9797 किलो के इस बम का इस्तेमाल किया गया। इससे एक मील यानी 1.6 किमी के इलाके में आईएस-अफगानिस्तान आतंकियों की गुफाएं, बंकर व इमारत तबाह हो गए।
18 लोगों के मारे जाने की प्रारंभिक खबर है। जीपीएस निर्देशित बम अफगानिस्तान में पहले से ही रखा गया था। एयरफोर्स स्पेशल ऑपरेशंस कमान द्वारा संचालित एमसी-130 विमान ने इसे गिराया। मालूम हो, शपथ के 83 दिन बाद ट्रंप ने आईएस पर क़़डा प्रहार किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को शपथ के बाद दिए भाषण में आईएस के खिलाफ जंग की बात कही थी। नवंबर 2015 में फोर्ट डोज (लोआ राज्य) में प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि मैं आईएस पर बम गिराऊंगा।
32 किमी दूर से दिखा धुआं
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन में सैन्य अधिकारियों ने जीबीयू-43 गिराए जाने की पुष्टि की है। अमेरिका ने यह कार्रवाई आईएस के साथ लड़ाई में सेना के विशेष बल ग्रीन बेरेट के कमांडो के मारे जाने के कुछ ही दिनों बाद की है। बम से नुकसान के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है। इसके लिए टीम भेजी गई है। बताया जाता है अमेरिकी सेंट्रल कमान के प्रमुख जनरल जोसेफ वोटेल से मंजूरी मिलने पर ही बम गिराया गया है। जीबीयू-43 का आधिकारिक नाम मैसिव आर्डिनेंस एयर बर्स्ट (एमओएबी) बम है। इसे मदर ऑफ ऑल बम (एमओएबी) भी कहा जाता है। बम का परीक्षण 2003 में किया गया, लेकिन गुरुवार से पहले प्रयोग नहीं किया गया।
सीरिया की तुलना में 21 गुना प्रभावी
21,000 पौंड (9797 किलो) वजनी इस बम की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले सप्ताह सीरिया में दागी गई हर टॉमहॉक क्रूज मिसाइल का वजन 1,000 पौंड था। सीरिया में अमेरिका ने 6 अप्रैल को 4 मिनट में 59 मिसाइलें दागी थीं।
अमेरिका के बाद रूस ने 2007 में बनाया था ‘फादर ऑफ ऑल बम’
अमेरिका द्वारा एमओएबी के निर्माण के बाद वर्ष 2007 में रूस ने ‘फादर ऑफ ऑल बम्ब्स’ विकसित कर लिया। यह मदर ऑफ ऑल बम से चार गुना शक्तिशाली था। यह भी गैर परमाणु बम है। हालांकि इसका प्रभाव और विध्वंस किसी छोटे परमाणु बम के बराबर ही होता है। इससे 44 टन टीएनटी ऊर्जा निकलती है। इसका वजन 7100 किग्रा है।
यह होगा असर
– कई मोर्चे खुलने का खतरा
– अमेरिका ने सात दिन पहले ही सीरिया में शहरयात एयर बेस पर मिसाइल से हमला किया था। इससे सीरिया के साथ ही वहां के राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ ही उनका संरक्षक रूस भी खफा है।
– उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग पहले ही अमेरिका को आंखें दिखा रहा है। उसने परमाणु हमले की धमकी तक दे दी है।
– चीन ने उत्तर कोरिया की घेराबंदी के लिए अपनी सेनाएं तैनात कर दी हैं तो ट्रंप ने भी सेना को सतर्क कर रखा है।
– यह बम गिराकर अमेरिका ने एक तरह से उत्तर कोरिया और ईरान को संदेश दिया है कि वे संभल जाएं। ये दोनों देश अपने परमाणु कार्यक्रमों में आगे ब़़ढ रहे हैं।
– ऐसे में पूरी दुनिया के सामने एक साथ कई मोर्च खुलने का खतरा पैदा हो गया है।
ओबामा के कार्यकाल से दोगुने बम गिराए
– वर्ष 2017 के पहले तीन महीने में ट्रंप ने अफगानिस्तान में 450 बम गिराए।
– वर्ष 2016 में ओबामा ने अफगानिस्तान पर 1300 बम गिराए गए थे।
– दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप शासन के पहले दो महीने में अफगानिस्तान पर गिराए गए बमों की संख्या ओबामा शासन में गिराए गए बमों के मुकाबले दोगुनी से अधिक है।
ऐसा है जीबीयू-43/बी बम
– ‘मदर ऑफ ऑल बम’ (एमओएबी) कहलाता है यह।
– 9797 किलो विस्फोटक सामग्री रहती है इसमें
– 30 फीट लंबा, 40 इंच चौड़ा और 1.6 किमी के दायरे में तबाही मचा सकता है।
– इससे 11 टन टीएनटी के बराबर विध्वंस हो सकता है।
— हरक्युलिस एमसी-130 मालवाहक विमान से गिराया गया।
– जमीन पर गिरने से 300 मीटर गहरा गढ्डा हो जाता है।
– जीपीएस से लैस, निशाना चूकने की कोई गुंजाइश नहीं।
– अफगानिस्तानी समय के अनुसार शाम 7.32 बजे गिराया गया।
– अल्बर्ट विमोर्ट्स ने विकसित किया। 11 मार्च 2003 को फ्लोरिडा में पहला परीक्षण। ऑपरेशन इराक फ्रीडम के वक्त निर्माण शुरू। हालांकि कभी इस्तेमाल नहीं किया गया।
– धमाके की जगह की हर चीज वाष्प बनकर उ़़ड जाती है।
– जमीन से छह फीट ऊपर बम में धमाका हुआ।
– अफगानिस्तान का अचिन जिला जहां बम गिराया गया, नई दिल्ली से 854 किमी दूर है।