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बैलगाड़ी से विधानसभा पहुंचे BJP विधायक जवाहर लाल

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की सत्रहवीं विधानसभा के पहले सत्र के पहले दिन आज जहां विधान भवन विपक्ष के खराब कानून-व्यवस्था पर विरोध का साक्षी बना, वहीं कुछ विधायक भी चर्चा का विषय बने। आज विधान भवन में प्रांगण में भाजपा के विधायक बैलगाड़ी से तो बहुजन समाज पार्टी के विधायक ई-रिक्शा से पहुंचे थे। बैलगाड़ी से आने वाले विधायक से बैलगाड़ी मालिक को पैसा नहीं मिला।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज संयुक्त अधिवेशन में विपक्षी सदस्यों के राज्यपाल के अभिभाषण का भले ही जमकर विरोध किया, लेकिन चर्चा का विषय बैलगाड़ी भी रही। इस बार विधानसभा में कुछ ऐसे माननीय भी है, जो आज अपने अलग अंदाज के कारण चर्चा का विषय बन गए।

झांसी के गरौठा से भाजपा विधायक आज अनूठे अंदाज में सदन में पहुंचे। विधायक जवाहर लाल राजपूत आज विधान भवन प्रांगण में बैलगाड़ी लेकर पहुंचे।

खुद को किसान बताने वाले झांसी के गरौठा से भाजपा विधायक जवाहर लाल राजपूत जब बैलगाड़ी से विधान भवन प्रांगण में पहुंचे तो लोग हैरत में पड़ गए।

पहले मुख्य द्वार पर वाहन पास का मसला फंसा। बाद में सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें जाने दिया। अंदर विधायक की बैलगाड़ी देखने वालों का तांता लग गया। उनकी हरकत पर सुरक्षाकर्मियों से लेकर दूसरे माननीय भी मुस्कुराते हुए विधायक के इस अंदाज को देखते नजर आए।विधानभवन में आज श्रावस्ती के भिनगा से बहुजन समाज पार्टी के विधायक मोहम्मद असलम राइनी भी अलग अंदाज में दिखे। आज उन्होंने विधानसभा के मुख्य द्वार तक का सफर ई-रिक्शा से तय किया।

मेहनताने के इंतजार में परेशान खड़ा मिला बैलगाड़ी मालिक

विधानसभा की कार्रवाई में हिस्सा लेने बैलगाड़ी से पहुंचे भाजपा विधायक जवाहर लाल राजपूत के मामले में उस समय नया मोड़ आ गया, जब बैलगाड़ी में बंधे नंदी और उसका मालिक धूप में खड़े भूख से परेशान नजर आए। गरौठा से भाजपा विधायक जवाहर लाल राजपूत शान से बैलगाड़ी में बैठकर विधानसभा पहुंचे। यहां मीडिया से कवरेज कराने के बाद सीधे विधानसभा में अंदर चले गए। इसके बाद विधायक के समर्थक भी वहां से चले गए। अकेला बचा बैलगाड़ी मालिक राम लखन यादव।

राम लखन धूप में बैलगाड़ी लिए काफी देर तक इंतजार करता मिला। वह परेशान था कि बिना पैसा दिए विधायक सदन में चले गए, अब वह खाना कैसे खाएगा। राम लखन ने बताया कि वह पिछले एक हफ्ते से धीरे-धीरे बैलगाड़ी से झांसी से लखनऊ पहुंचा था। विधायक के समर्थकों ने उसे मेहनताना देने का वादा किया था, लेकिन अब वह अकेला है। उसे समझ नहीं आ रहा है क्या करे। इस शहर में वह किसी और को जानता भी नहीं है।

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