You are here
Home > राज्य और शहर > दुर्घटनाओं व हादसों के दौरान तमाशा देखते है लोग

दुर्घटनाओं व हादसों के दौरान तमाशा देखते है लोग

कोई करता 100 डायल तो कोई 108 का करता इंतजार….

रवि पोरवाल

मंदसौर/पिपलियामंडी । आज के इस दौर में तेजगति से सड़को पर चल रहे वाहनों की कोई स्पीड सीमित नहीं रही । आज के दौर में वाहन चालक (ड्रायवर) चाहे छोटा हो या बड़ा अपनी मोटरसाईकिल को किसी रॉकेट से कम नहीं समझते । तेज रफ्तार में वाहन चलाकर अपनी जीवन लीला को हथेली पर लेकर घूमते है और तेजगति के कारण सामान्य व्यक्ति को भी हादसे का शिकार बना देते है जिसके चलते आज जनता को पैदल चलने में भी एक भय रहता है कि कही कोई पीछे से आकर ठोक न दे । लेकिन कोई सावधानी बरतने को तैयार नहीं सब अपनी-अपनी मस्ती में मस्त होकर पायलेट बनकर रॉकेट की तरह अपने वाहनों को चलाते है ।

दुर्घटना के बाद सब रायशुमारी में लग जाते है और घायल अपने दर्द को सहने में

आज के समय में ज्यादातर देखने में आता है कि यदि किसी कारण से कोई हादसा, दुर्घटना होती है तो मौके पर एकत्रित भीड़ आपस में एक दूसरे से चर्चा करते है और सब अपनी-अपनी जताने में लग जाते है, ये कौन है ? कहां का है ? कहां जा रहा था ? कहां से आ रहा था ? क्या नाम है? साथ में और कौन-कौन है ? गलती इसकी है… गलती उसकी है इस तरह की चर्चा चलती है और कही-कही तो सड़क पर पड़े घायल को भी नही छोड़ते है उससे भी पूछ लेंगे और अपने आप को समझदार साबित करते है और उसके पास ऐसे एकत्रित होंगे जैसे कोई मदारी अपना खेल दिखा रहा हो लेकिन उपचार के लिए अस्पताल नहीं ले जा सकते, चाहे घायल पड़े-पड़े अपनी अंतिम सांस ले रहा हो । ज्यादा से ज्यादा 108 या 100 पर कॉल कर देंगे पर अपने नजदीक स्वास्थ्य केंद्र नहीं ले जायेंगे।

100 डायल और 108 पर भी जनता लगा देती लापरवाही के गम्भीर आरोप

पुरानी कहावते कही जाती है किसी को ज्यादा खाने को मिले तो उस खाने कद्र कम हो जाती है । ठीक उसी तरह आज ज्यादातर देखा जाता है कि कोई वाहन चालक गलती से भी स्लिप होकर गिर जाये तो लोग 108 पर तुरंत कॉल घूमा देते है और कहें कोई लड़ाई झगड़े, मारपीट, जाम, कोई यात्रा तो कोई रैली लगभग हर जगह 100 डायल को कॉल लगा कर बुला लेते है जैसे की 108 या 100डायल हर समय हर टाईम फ्री हो ज्यादातर एक्सीडेंट के केस में देखने में हमेशा जनता लापरवाही के आरोप लगा देती है की 100 डायल 15 मिनिट देरी से पहुंची, 20 मिनिट देरी से पहुंची या डायल 100 हल्के झगड़े का गंभीर रूप लेने के बाद पहुंची । इस तरह की बाते शुरू कर आरोप लगाना शुरू कर देते है पर यह बात तो केवल वही समझ पता है जो उस समय पुलिस या डॉक्टर ड्यूटी पर उपस्थित होते है कि वह किस ड्यूटी से कब फ्री होकर, कहां की ड्यूटी उन्हें फिर मिल जाते है और किसी ड्यूटी पर पहुंचने के बाद क्या स्थिति सामने आती है लेकिन यह बात जनता कभी नहीं समझती है कि हमें कितनी सुविधा उपलब्ध होती है और कितनी नही लेकिन लोग कुछ लोगो के बहकावे में आकर आरोप लगाना शुरू हो जाते है ।

100 डायल और 108 पर तैनात जवानो की आप बीती

कुछ दिन पूर्व पिपलिया मंडी मंडी के पास सुनहरा फंटे के पास 2 बाइक आपस में भिड़ंत हुई थी जहां मौके पर 300 से 400 लोग एकत्रित हो गए थे और बताया गया कि कुछ नेतागण भी अपनी-अपनी गाड़ियो के मोके पर पहुँचे थे । सभी खड़े-खड़े 100डायल का इंतजार करते रहे पर कोई घायलो को अस्पताल तक नही ले जा पाए और कुछ देर बाद100डायल के मौके पर पहुंचने के बाद भी किसी ने घायलों को उठाया तक नही और उस स्थिति में भी 100 डायल पर तैनात पुलिसकर्मी पूर्ण रूप से अपनी ड्यूटी निभाते हुये उन घायलो को पिपलियामंडी स्वास्थ्य केंद्र लेकर आये जहां से प्राथमिक उपचार के बाद मंदसौर रेफर किया गया ।

Sharing is caring!

Similar Articles

Leave a Reply

Top