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किसान संदेश यात्रा में पांच प्रमुख मुद्दे सामने आ रहे है

लेखक-विजय शर्मा

पटवारी हटाओ ? सचिव बदलो ? हमारे डोडाचूरी का क्या हुआ ? हमारी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा ? मंडीयां करें हमें नगद भुगतान ?

भाजपा की मंदसौर जिले में किसान संदेश यात्रा हर विधानसभा क्षेत्रों में चालू है । इस यात्रा को चालू हुए तीन दिन व्यतीत हो चुके है और तीन दिन में हर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के एक-एक मण्डल में यह यात्रा समाप्त हो गई । कल से हर विधानसभा क्षेत्र के  दूसरे मण्डलों में किसान संदेश यात्रा निकलेगी । तीन दिन का निचोर किसान संदेश यात्रा में यह आया कि हर गांव में पांच प्रमुख समस्याएं सामने आई ।

पहली समस्याः- ग्राम पंचायत सचिव खराब है इसे तुरंत हटाया जाए

दूसरी समस्याः- पटवारी बदमाश है, हमारे खसरे-खातों में पटवारी ने खूब गड़बड़ियां की है पटवारी को हटाया जाये ।

तीसरी समस्याः- जिन गांव में अफीम के पट्टे है वहां के किसानों ने किसान यात्रा में भाजपा को घेरा और कहा कि सांसद ने बड़े-बड़े आश्वासन दिये थे और उन आश्वासनों में सांसद ने यह कहा था कि डोडाचूरी खरीदने के लिए उन्होंने केन्द्रीय सरकार से बात की है ! विŸा मंत्री से बात की है ! और किसानों का डोडाचूरा खरीदा जाएगा परन्तु अफीम की फसल ऐसी फसल है जिसे किसान अपने बच्चे की तरह पालता है और ऐसी स्थिति में उसका डोडाचूरा अगर नहीं बिकता है तो उसके पूरे परिवार को इससे असंतुष्टी होती है ।

चौथी समस्याः- किसानों की मंदसौर जिले में मुख्य फसलें है सोयाबीन, चना, रायड़ा, मैथी, लहसुन तथा प्याज है और ऐसी स्थिति में किसानों की उपज का उन्हें मूल लागत की मूल्य भी नहीं मिल रही है तो किसानों का असंतोष है ।

पांचवी समस्याः- किसानों का कहना है कि पहले कम से कम हमारी फसल कृषि उपज मंडी में सुबह ले जाते थे और दिन में बिकती थी और शाम को व्यापारी को तोलकर उसका पैमेन्ट नगद ले जाते थे । आज की स्थिति में कृषि उपज मंडी में हमारा माल बिकता है, व्यापारी हमें चैक थमा देते है, दिनभर हम भूखे प्यासे हमारे माल को लेकर मंडियों में पड़े रहते थे और माल बिकता तो हमें चैक मिलता है और उस चैक के भुगतान का कोई अता-पता ठिकाना नहीं रहता है, हमें उस चैक का भुगतान किसान को पंद्रह दिन में, किसी को बीस दिन में, किसी को एक महीने में, तो किसी को डेढ़ महीने में मिलता है । ऐसी स्थिति में हम किसान करें तो क्या करें ?

साथ ही किसानों ने यह भी बताया कि मप्र विद्युत मण्डल द्वारा कुछ लोगों द्वारा बिल नहीं भरने के कारण विद्युत कंपनियां पूरे गांव के गांव का विद्युत  कनेक्शन काट देती है । जब किसान विद्युत मण्डल के अधिकारियों के पास जाता है तो उन्हें यह कहकर हड़का दिया जाता है कि तुम्हारे गांव के बिजली के बिल बाकि है । पूरे गांव के बिल भरवाओ उसके बाद विद्युत कनेक्शन जोड़ा जाएगा ।

इसके अलावा सहकारी समितियों से लगाकर छोटे स्तर पर रिश्वतखोरी, आदि की समस्याएं किसान संदेश यात्रा के समय सामने आई । अब इसका निदान कैसे हो इसका आश्वासन किसान संदेश यात्रा में कोई भी जनप्रतिनिधि किसानों को नहीं दे पा रहा है । यहां तक कि गांव की चौपालों पर जनप्रतिनिधियों के साथ गये दस-पंद्रह भाजपा के कार्यकर्ता और दस-पंद्रह दूसरे लोग जिसमें बच्चे भी शामिल है आ जाते है और इन दिनों हर गांव में कैमरे वाले मोबाईल है, मोबाईल से जनप्रतिनिधि फोटो खिंचवा लेते है, बहुत से तो मुख्यमंत्री के सामने राजा हरीशचंद्र बनने के लिए मोबाईल के कैमरे से शूटिंग भी करवा लेते है, ले देकर किसान संदेश यात्रा को एक मजाक यात्रा बना रखी है । इस यात्रा से किसान और ज्यादा उत्तेजित हो रहा है…!

पटवारी एवं सचिवों के तबादले का प्रस्ताव कैसे बने ?

पटवारी एवं सचिवों के तबादले की मांग किसान संदेश यात्रा में हर पंचायत क्षेत्र में व हर पटवारी हल्का में हो रही है परन्तु जनप्रतिनिधि भी बड़ी दुविधा में है । एक धड़ा पटवारी एवं सचिव के तबादले की मांग करता है जिसमें पच्चीस-तीस लोग शामिल रहते है और दूसरा धड़ा जिसमें चालीस से पचास लोग शामिल रहते है वह कहते है कि हमारा सचिव भी अच्छा और हमारा पटवारी भी अच्छा है इसको मत बदलो । गांव में ही गांव वाले एक-दूसरे पर आरोप लगा देते है । पहला धड़ा जाता है तो वह जनप्रतिनिधियों को कहता है कि दूसरा धड़ा पटवारी का तबादला रूकवाने आया था उसमें पांच तो पटवारी के दलाल थे…! तो पहला धड़े पर दूसरा धड़ा भी आरोप लगाने में पीछे नहीं है अब ऐसी स्थिति में जनप्रतिनिधि दुविधा में पड़ जाता है कि आखिर में वह किसकी बात मानें । पहले धड़े की या दूसरे धड़े की ।

किसान आंदोलन में घुसे असामाजिक तत्व यह बात कही जा रही है किसान संदेश यात्रा में…!

किसान संदेश में भाजपा का हर नेता गांव-गांव जाकर किसानों के बीच में यह कह रहा है कि किसान आंदोलन में असामाजिक तत्व घुस गये और उन्होंने किसानों को बदनाम करने की साजिश की । वैसे कोई यह बात किसान विरोधी नहीं है परन्तु त्रस्त किसानों की समस्याओं नहीं सुनने के कारण आज किसान आंदोलन ने इतना बड़ा रूप धारण किया । डेढ़ माह पूर्व पुलिस विभाग की दो प्रमुख शाखाओं ने पहली बार मध्य प्रदेश सरकार को रिपोर्ट भेजी कि मंदसौर के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह डेढ़ माह से फिल्ड में नहीं जा रहे है ! जनसुनवाई के माध्यम से दिए गए आवेदनों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है ! कलेक्टर पर भयंकर भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा है इस बात को नकारा नहीं जा सकता । पूरे एक वर्ष से भाजपा का संगठन कलेक्टर को हटाने की मांग कर रहा था। भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में सबसे पहले एक ही बात उठती थी कि कलेक्टर को हटाया जाए । इन तमाम परिस्थितियों में अब यह कहकर किसान आंदोलन के ऊपर लिपापोती करना कि उसमें असामाजिक तत्व घुस गये थे । खुद पुलिस प्रशासन ने इस बात को स्वीकार किया कि बही फंटे पर करीब ढाई से तीन हजार किसान आंदोलनकारी मौजूद थे वहीं दलौदा में भी किसान आंदोलन में इतनी ही संख्या बताई थी, तो वहीं सुवासरा में भी किसान आंदोलन में इतनी ही संख्या बताई थी । अब ऐसी स्थिति में इतनी आगजनी, लूटपाट, मारपीट सब हुई और उस समय किस किसान ने खंडन दिया कि यह हमारे किसान नहीं थे, यह असामाजिक तत्व थे। आज किसानों के बीच जाकर यह सफाई दी जा रही है कि किसान आंदोलन में असामाजिक तत्व घुस गये थे । अगर इन आंदोलनों में असामाजिक तत्व घुसे थे तो सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि, संगठन के पदाधिकारियों सब ने कितने असामाजिक तत्वों के खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाकर उन्हें उजागर किया, जरा मीडिया को सूची तो उपलब्ध करावें ।

(लेखक दैनिक मंदसौर संदेश के वरिष्ठ पत्रकार है)

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