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बंदियों के लिए जेल में कराएं खेल व योग गतिविधियां

कलेक्टर नेहा गिरि ने पैरोल समिति की बैठक में दिए निर्देश

प्रतापगढ़ । जिला कलेक्टर नेहा गिरि ने कहा है कि कारागृह में रहने वाले बंदियों को बेहतर एवं स्वस्थ माहौल मिलना चाहिए ताकि वे तनावमुक्त रहकर अपने बाकी जीवन को सकारात्मक ढंग से जीने की प्रेरणा ग्रहण कर सकें।

वे बुधवार को अपने कक्ष में हुई जिला पैरोल समिति की बैठक को संबोधित कर रही थी। बैठक में एएसपी रतन लाल भार्गव, जेल उप अधीक्षक पारस जांगिड़, समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक जेपी चांवरिया, पीएमओ डॉ ओपी दायमा ने भाग लिया। इस दौरान जिला कलेक्टर ने कहा कि जेल में बंदियों के लिए ध्यान, योग एवं इन्डोर खेलों से जुड़ी गतिविधियां आयोजित कराएं। भजन, संगीत आदि से बंदियों को जोड़ें तथा जेल के अंदर ही एक लाइब्रेरी विकसित करें जिसमें कैदियों को पढने के लिए अच्छी पुस्तकें उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि जेल के शिड्यूल में जहां अंतराल हो, उसे इन सकारात्मक व रचनात्मक गतिविधियों से भरा जा सकता है। उन्होंने बंदियों के लिए शतरंज, कैरम व टेबल टेनिस जैसी खेल गतिविधियां शुरू करने को कहा।

उन्होंने कहा कि बंदियों के भीतर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा विकसित करें। इन रचनात्मक गतिविधियों से उनका तन व मन संचालित होगा तो वे बीमारियों व अवसाद से बचेंगे। तन व मन स्वस्थ रहेगा तथा वे भविष्य के बारे में बेहतर ढंग से सोच सकेंगे। उन्होंने कहा कि जीवन कभी खत्म नहीं होता तथा प्रत्येक व्यक्ति को बेहतर भविष्य का स्वप्न देखने का हक है। बंदियों को भी वह माहौल मिलना चाहिए कि वे अपनी बाकी जिंदगी में कुछ अच्छा और बेहतर करने के बारे में सोच सकें। उन्हें सृजनात्मक गतिविधियों से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि साक्षरता कक्षाओं के साथ-साथ बंदियों की परीक्षाएं भी आयोजित कराएं ताकि पता चले कि उन्होंने साक्षरता गतिविधियों में क्या ग्रहण किया है।

उन्होंने जेल उप अधीक्षक से कहा कि वे जेल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रखें। जेल में अनाधिकृत वस्तुओं को किसी भी सूरत में प्रवेश नहीं होना चाहिए। इसके लिए जरूरी व्यवस्थाएं करें। जेल की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाएं, उसमें किसी प्रकार की शिकायत नहीं आनी चाहिए। इस दौरान जिला कलेक्टर ने समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक जेपी चांवरिया को मानसिक विमंदित गृहों में भी बच्चों को संगीत एवं वाद्य यंत्रा सिखाने के लिए निर्देश दिए और कहा कि संगीत अपने आप में एक थैरेपी है और इससे व्यक्ति का मन प्रफुल्लित व विकसित होता है। इस दौरान समिति ने विभिन्न पैरोल प्रकरणों पर विचार-विमर्श कर निर्णय लिए। उन्होंने अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक से कहा कि जेल का नियमित तौर पर निरीक्षण कराएं और यह देखें कि बंदियों को नियमानुसार दी जाने वाली सुविधाएं मिलें तथा सुरक्षा में भी किसी प्रकार की कोताही नहीं हो।

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