
प्रतापगढ़ । यूं तो मुख्यमंत्रा जल स्वावलंबन अभियान पूरे ही प्रदेश में अपनी उपयोगिता साबित कर रहा है लेकिन प्रतापगढ जिले में इसका प्रभाव खासतौर पर देखते ही बनता है। जिला कलेक्टर नेहा गिरि के निर्देशन में वन विभाग की ओर से कराए गए जल संरक्षण एवं वृक्षारोपण के कार्यों की पिछले दिनों की गई ड्रॉन फोटोग्राफी में यह खूबसूरती खासतौर पर उभरकर सामने आई।
डीएफओ एसआर जाट के मुताबिक, एमजेएसए के दूसरे चरण में वन विभाग की ओर से 3 लाख 62 हजार 820 पौधे लगाए गए हैं। इनमें चौदह वृक्षकुंजों में 5320 पौधे लगाए गए हैं तथा 3 लाख 47 हजार पांच सौ पौधे वृक्षारोपण कार्यों में लगाए गए हैं। शहरी वनीकरण में दस हजार पौधे लगाए गए हैं। इन पौधरोपण कार्यों की रौनक अब देखते ही बनती है। उन्होंने बताया कि जिले में वन विभाग की ओर से एमजेएसए के दूसरे चरण में 1626 कार्य कराए गए हैं। वृक्षारोपण के 23 कार्य किए गए हैं। विभाग की ओर से 25 एनिकट बनाए गए हैं। दो फार्म पौंड बनाए गए हैं तथा फील्ड बंडिंग के 24 कार्य किए गए हैं। इसके अलावा 14 एलएससीडी, 7 पासिंग डवलपमेंट, एक परकोलेशन टैंक, 790 सीसीटी, डीप सीसीटी व एसजीटी कार्य, 515 एमपीटी कार्य, पांच फेंसिंग कार्य, दो पक्के चौकडेम व 4 गैबियन स्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है।
वे बताते हैं कि धरातल पर भी इन कामों का असर साफ-साफ दिख रहा है। अब इलाके में एमजेएसए के दौरान निर्मित जल संरचनाओं में पानी लबालब हो जाने से भूजल स्तर बढ रहा है। भूजल स्तर बढने के साथ-साथ इलाके के पशु-पक्षियों, वन्य जीवों के लिए भी यह पानी जीवनरक्षक साबित होगा। मानसून की बारिश के दौरान एमजेएसए में बने ये स्ट्रक्चर पानी से लबालब हुए। कई कच्चे स्ट्रक्चरों में कई दफा पानी भरा और उससे भूजल पुनर्भरण हुआ। ग्रामीण कहते हैं कि इससे कुओं में पानी का स्तर बढा है और आने वाले दिनों इससे और भी फायदा मिलेगा। अगर कई वर्षों तक इसी प्रकार जल संरक्षण का काम जारी रहता है निस्संदेह हमारे इलाके का जल स्तर बढेगा और कुओं में अधिक पानी उपलब्ध हो जाएगा, जिससे हमारी खेती आसान हो जाएगी। इन कामों से लोगों में जल संरक्षण को लेकर जागरुकता भी आई है।
जिला कलेक्टर नेहा गिरि बताती हैं कि ‘दौड़ते पानी को चलना सिखाएं, चलते पानी को रेंगना सिखाएं, रेंगते पानी को रुकना सिखाएं और रुके हुए पानी को भूमि में समाहित होना सिखाएं’ की अनूठी संकल्पना के साथ शुरू हुए इस अभियान के कारण लोगों के जीवन में बदलाव आ रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में जो पहाड़ियां सूखी और बंजर नजर आती थीं, वे बरसात के बाद अब जलपात्रा बनी नजर आ रही हैं। पहाड़ियों पर बने स्टेगर्ड ट्रेंच, एनिकट के जरिए पानी व्यर्थ बहने से रुका और इन पहाड़ियों पर हरियाली नजर आने लगी है।