
कई वर्षों से चली आ रही है यह अनूठी परम्परा
प्रतापगढ़ । शहर से सात किलोमीटर दूर स्थित गांव खेरोट में दशहरे के महा पर्व पर शनिवार को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रावण के पुतले को बन्दुक की गोलियों से छलनी किया गया। स्थानीय आदर्श राजकीय उच्य माध्यमिक विद्यालय परिसर में रावण का पुतला बनाया गया । यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है ग्रमीणों के अनुसार जहां पर रावण का पुतला बनाया जाता है वहां पहले लोग फसले काटकर ढेर लगाते थे, फसल को आग नहीं लगे इसलिए रावण को जलाते नहीं है गोलियों से मारते है। क्षेत्र के लाइसेंस बन्दुक धारियों द्वारा रावण को छलनी किया गया। ।
सुबह से ही गांव में बड़े उत्सुकता का माहौल था । शाम को रावला मंदिर से हर वर्ष की भांति ठाकुर जी रथ में विराजमान होकर रावण के वध के लिए निकले जो स्कूल परिसर में पंहुच कर ठाकुर साहब महेंद्र सिंह सिसोदिया द्वारा भगवान राम के भाले से रावण की नाक काटी गयी व उनकी ओर से अगले वर्ष आने वाले बंदूक धारियों को उचित इनाम दिया जाएगा। बाकी पूजा आरती भी की गई व राम रावण के दो गुटों में अलग अलग खड़े होकर लोगो ने चौपाइयों में वाद संवाद भी किया, साथ ही दोनों गुटों ने अपने अपने भगवान के खूब जयकारे लगाए। रावण को प्रथम गोली लगाने वाले कि बोली लगाई गई जो कालू सिंह राजपूत द्वारा ली गयी। उसके बाद ग्रमीणों द्वारा बन्दुक की गोलियों से छलनी किया गया। यह भव्य नजारा देखने जनसैलाब उमड़ा । खेरोट सहित आस पास क्षेत्र के कई गाँवो केरवास, झासडी, गंधेर, कुलथाना, बिलेसरि, खतोड़ी, आमलीखेड़ा से हजारो की तादाद में महिला पुरुष रावण स्थल पंहुचे ।