
झालावाड़ । झालावाड़-बारां सांसद श्री दुष्यन्त सिंह ने रविवार को सर्किट हाऊस झालावाड़ में जिला परिषद्, जल संसाधन, जलदाय, विद्युत, सार्वजनिक निर्माण, रसद, भूमि अवाप्ति इत्यादि विभागों के कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से प्रगति की समीक्षा के साथ-साथ विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी ली।
सांसद ने जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक में जिले में प्रगतिरत रोशनबाडी व गुराडिया लघु सिंचाई परियोजनाओ की समीक्षा की। स्थानीय जनप्रतिनिधियों नें किसानों की सिंचित दर तथा बढी हुई डीएलसी से मुआवजे की मांग से अवगत कराया। सांसद ने निर्देश देते हुए कहा कि परियोजना के कार्य निर्धारित समय में पूर्ण किया जाएं और इनसे मिलने वाले लाभ का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। अधिकारीगण गांव में जाकर स्वीकृत अग्रिम भुगतान राशि की विस्तृत जानकारी देते हुए इसका अतिशीघ्र सम्बन्धित को भुगतान करें और भूमि अवाप्ति की समस्त कार्यवाही प्रचलित नई भूमि अवाप्ति अधिनियम 2013 के प्रावधानांे से की जाकर सम्बन्धितों को उचित मुआवजा निर्धारित दरों पर किया जाए।
बैठक में जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने आश्वस्त किया कि सभी प्रभावितों को नियमानुसार कार्यवाही करते हुए उचित दरों से मुआवजा भुगतान किया जाएगा। बैठक में संसदीय सचिव नरेन्द्र नागर, जिला प्रमुख टीना भील, संजय जैन (ताऊ) व अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासनिक व अन्य विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
अधिशाषी अभियंता जितेन्द्र शेखर ने बताया कि गुराडिया परियोजना में 230 बीघा व रोशनबाडी परियोजना में 796 बीघा निजी भूमि बांध निर्माण हेतु अवाप्त की जा रही है, जबकि गुराडिया परियोजना से इसकी तुलना में लगभग 5960 बीघा व रोशनबाडी परियोजना से लगभग 7460 बीघा भूमि में सिंचाई सुविधा प्राप्त हो सकेगी। दोनांे परियोजनाओं के बांध के निर्माण कार्य प्रगतिरत हैं। इनके डूब क्षेत्र में आ रही भूमि की अवाप्ति की नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। प्रथम चरण में बांध के एलाइनमेंन्ट और बोरो एरिया के लिए प्रयुक्त भूमि की सम्भावित मुआवजा राशि की गणना करते हुए, रोशनबाडी परियोजना के लिए 33 खातेदारों को 351.00 लाख तथा गुराडिया परियोजना के लिए 23 खातेदारों को 142 लाख रूपए का 75 प्रतिशत अग्रिम भुगतान स्वीकृत हुआ है जिसका शीघ्र भुगतान किया जाएगा। शेष राशि व इस भूमि में स्थित सम्पत्ति की राशि, अन्तिम रूप से जारी अवार्ड में शामिल कर भुगतान किया जाएगा। दूसरे चरण में डूब क्षेत्र की शेष भूमि का मुआवजा बांटा जाएगा।