
मंदसौर संदेश/निम्बाहेड़ा
कल्याण नगरी के राजाधिराज ठाकुर श्री कल्लाजी का कल्याण महाकुंभ के पंचम दिवस गुरूवार को स्वर्ण आभा में अनुपम दर्शन के साथ रजत पुष्प की पिछवाई की छटा के साथ उनके ऐश्वर्य के दर्शन देखते ह बनते थे। इसके साथ ही वीर विरांगनाओं, शक्ति दल, ष्णा शक्ति दल एवं कल्याण भक्तों द्वारा छप्पन भोग के रूप में 300 से अधिक प्रकार के पारम्परिक एवं आधुनिक व्यंजनों को भोग के रूप में ठाकुर जी को धाराकर ऐसा अनुपम दृश्य निरूपित किया कि सैंकड़ो भक्त अपने आराधय एवं दाता की इस मनोहारी छवि को निहारते रहे। छप्पन भोग में 71 प्रकार के मिष्ठान, 51 प्रकार के चटपटे व्यंजन, सभी प्रकार के फल, सूखे मेवे, पारम्परिक व्यंजनों के रूप में माखन मिश्री, लापसी, हलवा, चांवल, रोठ के साथ ही आधानिक एवं पारम्पिक पेय पदार्थ, कई प्रकार के बिस्किट, टॉफियों की झांकी से वेदपीठ परिसर भरा हुआ था, वहीं मोगरा सहित सतरंगी फूलों की झांकी सभी का मन मोह रही थी।
रेबारी समाज के नाम रहा पितृ जनार्दन यज्ञ का तृतीय दिवस
कल्याण महाकुंभ के दौरान पुर्वजों के मोक्षगामी होने एवं पितृ दोष निवारण के लिए आयोजित पितृ जनार्दन यज्ञ का तृतीय दिवस रेबारी एवं रायका समाज के नाम रहा, जिसमें गुरूवार को 400 से अधिक यजमान युगलों ने गौ घृत एवं शाकल्य से आहुतियां देने के साथ ही पितृ सुक्त के Üलोकों के साथ अपने मातृ एवं पितृ पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण एवं मार्जन करते हुए नांदी श्राद्ध कर सभी पुर्वजों के मोक्षगामी होने की कामना की। यज्ञ का यह ॰श्य देखते ही बनता था, जिसमें समुचा यज्ञ मंडप खचाखच भरा हुआ था, वहीं बड़ी संख्या में श्रद्धालुं यज्ञ परिक्रमा कर देश प्रदेश एवं घर परिवार में खुशहाली की कामना के साथ पुर्वजों को ब्रम्ह तीर्थ में विराजित होने की कल्पना की। स्वास्तिक आकार के रूप में स्थापित विशाल स्थान पर यजमानों द्वारा श्रीफल को अिमंत्रित कर लाए गए पुर्वजों को पुरे विधि विधान के साथ स्थापित किया गया। वहीं पिछले चार दिनों से यज्ञ मंडप में अकस्मात आया एक कपोत भी इसी स्वास्तिक परिसर में मोक्ष होने की कामना करता नजर आया। शुक्रवार को पितृ जनार्दन यज्ञ में 500 से अधिक यजमान जोड़ो के ाग लेने के लिए यज्ञ की दो आवृति की विशेष व्यवस्था की गई है।
जगदम्बा ही जग की पालनहार-आचार्य द्विवेदी
पुराण वेŸा एवं मर्मज्ञ डॉ. इच्छाराम द्विवेदी ने कहा कि संसार में मां का स्थान सर्वापरी है, इसी कारण मां जगदम्बा को जग की पालनहार माना गया है। उन्होनें ब्रम्ह महापुराण के संदर्भ में बताया कि स्वयं ब्रम्हा भगवान शिव के पास जाकर जब ये बताने लगे कि उन्होनें संसार के सभी जीवों की रंचना तो कर ली, लेकिन उनका पालन करने में शिव उनकी सहायता करें, तब शिव ने समीपस्थ जगदम्बा की और ईशारा करते हुए कहा कि वे ही तुम्हारी मनोकामना पुर्ण कर सकती है, तब मां पार्वती ने ब्रम्हा को आश्वस्त किया कि वे जगत माता के रूप में हमेशा प्रत्येक जीव का पालन करेगी। इसी कारण चींटी से लेकर हाथी तक प्रत्येक जीव को उदर पूर्ति के लिए अन्नपूर्णा ही सब व्यवस्था करती है ।
आचार्य द्विवेदी गुरूवार को ब्रम्ह तीर्थ कथा मंडप में ब्रम्ह पुराण कथा वाचन के दौरान दम्पिŸा को कल्पवृक्ष बताते हुए कहा कि शास्त्रों में गृहस्थी को कल्पतरू कहा गया है। उन्होनें कहा कि भारत में जितना धार्मिक भाव है, संसार के किसी देश में नहीं है क्योंकि हमारे देश में अनैक संत, महात्मा, ऋषि, मुनि और महापुरूष हुए है। उन्होनें कहा कि जीवन में देवऋण, पितृऋण एवं ऋर्षिऋण से मुक्ति का प्रयास करें, ताकि प्रत्येक जीव मोक्षगामी हो सकें। उन्होनें पाण्डवों के राजसु यज्ञ का उल्लेख करते हुए कहा कि उस यज्ञ में नकुल यानि नेवला निकल कर जब कृष्ण की गोद में जा बेठा तो उसके आगमन का कारण जानने पर बताया कि एक गरीब ब्राम्हण के यज्ञ में जाने से उसका पेट स्वर्ण का हो गया, अब वह पूर्ण रूप से स्वर्ण स्वरूप में आने के लिए इस यज्ञ में पहुंचा, लेकिन साक्षात श्रीकृष्ण के होते हुए भी इस यज्ञ में भी कोई कमी है इस कारण वह स्वर्ण का नहीं हो पाया, यह सुनकर धार्मराज युधिष्ठिर चिन्तित हो गए। आचार्य द्विवेदी ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए हर नागरिक को जागरूक होना होगा तथा आंदोलन के नाम पर राष्ट्र की सम्पिŸा को बर्बाद करना कतई उपयुक्त नहीं है, इसलिए किसी के बहकावें में आने के बजाय स्वविवेक से राष्ट्र सेवा का चिन्तन करना चाहिए। कथा मंडप में भारत माता मंदिर के युवाचार्य रामानुज, वेदज्ञ डॉ. विजयशंकर शुक्ता, वेदविदुशी डॉ. उषा शुक्ता एवं महंत ओंकारानंद सरस्वती सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
जन संध्या में झांकियो ने मन मोहा
कल्याण महाकुंभ के चतुर्थ दिवस बुधवार रात्रि को ब्रम्ह तीर्थ कथा मंडप में कल्याण म्यूजिकल ग्रुप निंबाहेड़ा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत जन संधया में मथुरा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत झांकियो ने दर्शको का मन मोह लिया। इस जन संध्या के प्रारंभ में गणपति वंदना के बाद फिल्मी धानों पर लोक गायकों ने अपने ही अंदाज में मनभावन भजनों की प्रस्तुतियां देकर समुचे वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। इस दौरान राधाकृष्ण, भोले की भस्मा आरती, बालाजी, मां कालिका, दुर्गा की सिंह सवारी एवं भैरव की झांकियो के नृत्य ने समां बांधा दिया। वहीं भजन गायकों ने भी सुरिले अंदाज में भगवान सांवरिया, मां दुर्गा, हनुमानजी, माताजी के मनभावन भजनों की प्रस्तुतियों के साथ ठाकुर श्री कल्लाजी का आव्हान करते हुए जब कीर्तन की है रात कल्लाजी थाने आणो है प्रस्तुत किया तो लोग तालियों से संगत करते हुए जयकारे लगाकर पाण्डाल को गुंजायमान कर दिया। भजन संधया में भैरूलाल व वंदना राव गायकों के साथ ओरगन पर मनीष, ढोलक पर उमेश राव, पेड पर कमलेश, ढोल पर उमेश ने संगत की। वहीं संचालक राजू राजस्थानी ने कॉमेडी कर लोगो को खूब हंसाया। महाकुंभ के उपलक्ष्य में शुक्रवार रात्रि को इन्दौर गन्नू महाराज के साथ आने वाले कलाकारों द्वारा भजन संध्या में प्रस्तुतियां दी जाएगी ।